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हल्द्वानी

बरसात से पहले ही उफनी गौला नदी, मजदूरों की जान पर बना संकट – बैराज के गेट खोलने से मची अफरा-तफरी

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हल्द्वानी। मानसून से पहले ही गौला नदी विकराल रूप लेने लगी है। रविवार सुबह पहाड़ों में हुई तेज बारिश के चलते गौला नदी अचानक उफान पर आ गई, जिससे खतरे की घंटी बजने लगी है। स्थिति तब और गंभीर हो गई जब नदी का जलस्तर बढ़ने पर सिंचाई विभाग को गौला बैराज के गेट खोलने पड़े। इससे नदी के किनारे चल रहे निर्माण कार्यों को भारी नुकसान पहुंचा और वहां काम कर रहे मजदूरों की जान खतरे में पड़ गई।

शनिवार को हल्द्वानी में गौला नदी का जलस्तर मात्र 93 क्यूसेक था, लेकिन रविवार सुबह दस बजे यह बढ़कर 1609 क्यूसेक पर पहुंच गया। जलस्तर के इस अचानक वृद्धि से हड़कंप मच गया। पानी के दबाव को नियंत्रित करने के लिए सिंचाई विभाग ने गौला बैराज के दो गेट खोल दिए, जिससे नदी में एकाएक पानी का बहाव तेज हो गया।

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इस दौरान गौला पुल की सुरक्षा को लेकर किए जा रहे कार्य प्रभावित हो गए। पुल की नींव को कटाव से बचाने के लिए लगाए गए निर्माण उपकरण और मशीनें पानी की चपेट में आ गईं। वहां काम कर रहे मजदूरों और मशीन चालकों ने भागकर अपनी जान बचाई। लेकिन एक हाइड्रा मशीन चालक बीच नदी में फंस गया। अन्य मशीनों की मदद से पानी का रुख मोड़कर उसे सुरक्षित बाहर निकाला जा सका।

चौंकाने वाली बात यह रही कि जलस्तर बढ़ने और बैराज के गेट खोलने की सूचना समय रहते श्रमिकों तक नहीं पहुंचाई गई। नदी में काम कर रहे श्रमिकों को खतरे से आगाह नहीं किया गया, जिससे उनकी जान जोखिम में पड़ गई। जब पानी का बहाव बढ़ गया, तब जाकर प्रशासन की टीम चेतावनी देने मौके पर पहुंची, लेकिन तब तक स्थिति काफी बिगड़ चुकी थी।

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वहीं नदी के बढ़ते जलस्तर ने स्टेडियम क्षेत्र में चल रहे सुरक्षा कार्यों को भी खतरे में डाल दिया। बरसाती नहर से निर्माण स्थल तक पानी पहुंच गया, जिससे कार्य को तत्काल रोकना पड़ा। मशीनों को तुरंत बाहर निकाला गया और श्रमिकों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया। इसकी सूचना मिलते ही सिंचाई विभाग के अभियंता मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया।

इस घटना ने एक बार फिर से प्रशासनिक तैयारी और आपदा प्रबंधन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मानसून से पहले ही नदी का रौद्र रूप देख आम लोगों और निर्माण कार्यों में जुटे मजदूरों में डर का माहौल है। यदि समय रहते उचित चेतावनी और सुरक्षा प्रबंध नहीं किए गए तो आगामी दिनों में और बड़ी दुर्घटनाएं हो सकती हैं।

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संपादक: गुलाब सिंह
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