उत्तराखण्ड

अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए इंजीनियर, कामकाज प्रभावित

उत्तराखंड डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ के आह्वान पर इन मांगों पर अड़े हैं इंजीनियर
देहरादून। उत्तराखंड डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ से जुड़े इंजीनियर गुरुवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। इंजीनियरों ने कामकाज पूरी तरह बंद करते हुए दून समेत अन्य जिला मुख्यालयों में विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने शासन में बैठे अफसरों पर वादाखिलाफी के साथ सरकार की छवि खराब करने का आरोप लगाया।
यमुना कालोनी में अनिश्चितकालीन हड़ताल में महासंघ से जुड़े इंजीनयिरों ने जमकर नारेबाजी कर विरोध जताया। इंजीनियरों में इस बात को लेकर अधिक आक्रोश था कि जिन मांगों को सरकार पूरा कर चुकी है, बाकायदा शासनादेश तक जारी हो चुके हैं, उनका भी लाभ नहीं दिया जा रहा है।
महासंघ अध्यक्ष एसएस चौहान ने कहा कि पदोन्नति के अधिक अवसर न होने के कारण इंजीनियरों को वित्तीय लाभ दिए जाने की मांग की जा रही थी। दस साल की सेवा के बाद 5400 ग्रेड पे का लाभ दिया जाना है। इसे लेकर 17 दिसंबर 2015 को जीओ तक जारी हो चुका है। इस मांग को पूरा कराने को लेकर महासंघ ने 22 दिन की हड़ताल की। जेई और अपर सहायक अभियंता को ये लाभ मिलना है। जो नहीं दिया जा रहा है। महासचिव मुकेश रतूड़ी ने कहा कि हर मामले में इंजीनियरों से भेदभाव किया जाता है। हर मांग को पूरा कराने को इंजीनियरों को संघर्ष करना पड़ता है। पदोन्नति के अवसर बढ़ाने को सहायक अभियन्ता के पद पर पदोन्नति कोटा 40 से 50 प्रतिशत किया जाए। जूनियर इंजीनियर को सेवा नियमावली में पदोन्नति की पात्रता के अनुसार तीन पदोन्नति मंजूर की जाए। पूर्व में कार अनुरक्षण भत्ता मंजूर किया गया। इसका भी लाभ नहीं मिला।
विरोध जताने वालों में जल निगम डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ रामकुमार, आरसी शर्मा, सीडी सैनी, भरत सिंह डांगी, अनिल पंवार, सुरेश जोशी, वीरेन्द्र गुसाईं, शिवराज लोधियाल, शान्तनु शर्मा, जगमोहन सिंह, प्रदीप कुमार, आशीष बिष्ट, कपिल कुमार शामिल रहे।

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इन मांगों को मानने के बाद भी नहीं मिला लाभ
● समूह ख इंजीनियरों को कार अनुरक्षण भत्ता
● जेई और अपर सहायक अभियंता को मोटर साइकिल, स्कूटर भत्ते की दरों को रिवाइज करना
● शासनादेश 17 दिसंबर 2015 के अनुसार जेई और अपर सहायक अभियंता को दस साल की सेवा के बाद 5400 ग्रेड पे का लाभ
● सभी तकनीकी विभागों में एक समान सेवा नियमावली लागू की जाए
● प्रदेश से बाहर की कार्यदायी संस्थाओं पर रोक लगाई जाए

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