उत्तराखण्ड

काबुल हाउस की शत्रु संपत्ति पर कब्जा लेगा प्रशासन, बेदखल होंगे 17 कब्जेदार

40 वर्ष बाद 400 करोड़ की संपत्ति पर हुई सुनवाई, 15 दिन में खाली करने होगा कब्जा
देहरादून। आखिरकार 40 वर्ष बाद भूमाफिया का तंत्र हार गया और देहरादून का जिला प्रशासन जीत गया। काबुल के शाही परिवार से जुड़े काबुल हाउस की करीब 400 करोड़ रुपये की संपत्ति पर अब जिला प्रशासन कब्जा लेगा। जिलाधिकारी देहरादून सोनिका की कोर्ट ने काबुल हाउस के भवनों पर अवैध रूप से काबिज 17 व्यक्तियों के दावे को खारिज कर दिया।
इसके साथ ही जिलाधिकारी सोनिका ने काबुल हाउस की संपत्ति को खाली करने के लिए अवैध कब्जेदारों को 15 दिन का समय दिया है। तय समय के भीतर संपत्ति खाली न करने की दशा में जिला सहायता एवं पुनर्वास अधिकारी तहसील सदर व पुलिस बल की मदद से संपत्ति पर बलपूर्वक कब्जा प्राप्त किया जाएगा।
दून की काबुल हाउस की संपत्ति का प्रकरण पहली बार उत्तर प्रदेश के समय प्रकाश में आया था। 14 अगस्त, 1984 को तत्कालीन राजस्व आयुक्त राणा प्रताप सिंह ने जिलाधिकारी देहरादून को आदेश दिया था कि काबुल हाउस की संपत्ति को अवैध कब्जेदारों से मुक्त कराया जाए। तब तहसीलदार ने कब्जेदारों को नोटिस जारी कर संपत्ति खाली करने को कहा था। हालांकि, कब्जेदारों ने राजस्व आयुक्त के आदेश को छिपाकर सिर्फ तहसीलदार के नोटिस के आधार पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। उत्तराखंड गठन के बाद प्रकरण नैनीताल हाई कोर्ट को स्थानांतरित किया गया।
वर्ष 2007 में प्रकरण जिलाधिकारी की रिमांड में आने के बाद भी किसी अधिकारी ने इसमें हाथ नहीं डाला। इस बीच हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा गया कि काबुल हाउस की संपत्ति का कस्टोडियन जिला प्रशासन है और इसके बाद भी प्रकरण का निस्तारण नहीं किया जा रहा। इसके साथ ही बताया कि संपत्ति को भूमाफिया गिरोहबंद होकर खुर्दबुर्द कर रहे हैं।
यहां तक कि सरकार में निहित हो चुकी काबुल के राजशाही परिवार से जुड़ी संपत्ति के फर्जी वारिस भी सामने आ गए हैं। उन्होंने संपत्ति को कई व्यक्तियों को बेच भी दिया है। हाई कोर्ट ने वर्ष 2021 में जब जिला प्रशासन को सख्ती के साथ प्रकरण के निस्तारण के निर्देश दिए तो अधिकारी सक्रिय हुए।
जिलाधिकारी सोनिका ने सभी पक्षों के तर्क सुनने और अभिलेखों के परीक्षण के बाद पाया कि संपत्ति पर सरकार का अधिकार है। लिहाजा, करीब 40 वर्ष के लंबे इंतजार के बाद काबुल हाउस के सभी कब्जेदारों और इससे जुड़े पक्षों के दावे को खारिज कर दिया गया। अब इस बेशकीमती संपत्ति पर जिला प्रशासन सरकार के पक्ष में कब्जा प्राप्त करेगा और इसका उपयोग जनउपयोगी गतिविधियों के लिए किया जा सकेगा।

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