देहरादून: उत्तराखंड में सूचना का अधिकार अधिनियम का खुला उल्लंघन का एक और मामला सामने आया है। आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया ने उत्तराखंड सरकार से राज्य के राजकोषीय घाटे, प्रति व्यक्ति कर्ज और आय-व्यय का विवरण मांगा था।
गोनिया ने यह सूचना जिलाधिकारी नैनीताल के माध्यम से वित्त विभाग को भेजी। विभाग ने इस सूचना को आगे बढ़ाते हुए बजट राजकोषीय नियोजन एवं संसाधन निदेशालय को भेज दिया।
अत्यधिक शुल्क लगाकर सूचना देने से किया इनकार
हालांकि, निदेशालय ने गोनिया की सूचना के अनुरोध पर अत्यधिक शुल्क लगाकर सूचना देने से इनकार कर दिया। निदेशालय ने गोनिया से 1,55,000 रुपये का शुल्क मांगा, जबकि यह सूचना एक डीवीडी या पेन ड्राइव में आसानी से दी जा सकती थी। इतना ही नहीं, निदेशालय ने अपनी वेबसाइट की आईडी भी डाल दी ताकि सूचना अधिकार अधिनियम के तहत सूचना का खुलासा न हो सके।
सूचना आयोग में जाएंगे मामला
इस तरह के विभागीय रवैये से नाराज होकर हेमंत गोनिया ने अब यह मामला उत्तराखंड सूचना आयोग में ले जाने का फैसला किया है। उनका कहना है कि यह सूचना का अधिकार अधिनियम का खुला अपमान है।
क्या है मामला
* हेमंत गोनिया ने उत्तराखंड सरकार से राज्य के राजकोषीय घाटे, प्रति व्यक्ति कर्ज और आय-व्यय का विवरण मांगा।
* वित्त विभाग ने सूचना को बजट राजकोषीय नियोजन एवं संसाधन निदेशालय को भेजा।
* निदेशालय ने 1,55,000 रुपये का अत्यधिक शुल्क लगाकर सूचना देने से इनकार कर दिया।
* निदेशालय ने अपनी वेबसाइट की आईडी भी डाल दी ताकि सूचना का खुलासा न हो सके।
* गोनिया ने अब यह मामला सूचना आयोग में ले जाने का फैसला किया है।