मातृ सदन की मांगों को अनसूना कर लिखि विनाश की पटकथा, जैन समाज की तर्ज पर हिंदूओं को जागृत होना होगा
हरिद्वार। मातृ सदन आश्रम के संस्थापक स्वामी शिवानंद सरस्वती महाराज ने तीर्थाटन को पर्यटन में बदलना विनाशकारी साबित हो रहा है। जोशीमठ इसका जीता जागता उदाहरण है। मातृ सदन सदैव इसका विरोध करता चला रहा है लेकिन किसी ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया। आज पूरा जोशीमठ समाप्त होने की कगार खड़ा है। उन्होंने कहा जैन समाज के भांति हिंदू समाज को भी अपने धर्म स्थलों की रक्षा के लिए खड़ा होना होगा।
प्रेस को जारी बयान में स्वामी शिवानंद ने कहा कि
कहा कि जोशीमठ का अस्तित्व खतरे में है । जोशीमठ केवल उत्तराखंड का नहीं, अपितु पूरे भारतवर्ष का मुकुट है । यहीं आदि शंकराचार्य को ज्योति की प्राप्ति हुई थी, इसलिए इसका नाम ज्योतिर्मठ पड़ा। परंतु दुर्भाग्य का विषय है, खासकर हिन्दू धर्म के लिए, कि जब ऐसे तीर्थों को नष्ट करने की योजना बनती है उस वक़्त सब सोए हुए रहते हैं। उन्होंने कहा कि झारखंड के सम्मेद शिखर पर, जोकि जैनियों का तीर्थ स्थल है, उसे पर्यटन स्थल के रूप में सरकार ने घोषणा की। इससे पूरा जैन समाज उत्तेजित हो गया । एक जैन मुनि ने अनशन कर अपना प्राण भी त्याग दिया और तब सरकार को अपना निर्णय वापस लेना पड़ा। लेकिन केदारनाथ, बद्रीनाथ, जोशीमठ, वाराणसी, उज्जैन इत्यादि तीर्थों को पर्यटन स्थलों में बदला जा रहा है, और पूरा हिन्दू समाज सुषुप्त है। आवाज़ उठाने वाला विकास द्रोही हो जाता है। ऐसे में बताया जाएं कि जोशीमठ नष्ट हुआ, तो यह विकास हुआ या विनाश ? स्वामी शिवानंद ने कहा है कि मातृ सदन इन बातों को उठाती थी, तब एक यहाँ के पद्म विभूषित थे, सरकार ने उन्हें पर्यावरण के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित किया थ।
इन्होनें देहरादून से लोगों को लाकर मातृ सदन को घेरने की योजना बनाई थी। क्योंकि मातृ सदन इन परियोजनाओं के विरुद्ध आवाज उठाते थे। मातृ सदन की आवाज़ नहीं सुनी गई। जोशीमठ में कितना अत्याचार हो रहा था। लोग विकास के नाम पर क्या-क्या करते जा रहे थे? इसलिए आज वह तीर्थ नष्ट हो रहा है। उन्होंने कहा कि जोशीमठ में लोग जब बद्रीनाथ जाते थे, तो शाम 6 बजे जोशीमठ में गाड़ियों को खड़ा कर दिया जाता था जिससे जाम लग जाये ताकि वहीं के होटल में लोग रुकें । उन्हें इसके लिए बाध्य किया जाता था । इस बार यह घटना हमारे साथ भी घटी, इसकी शिकायत भी हुई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं। स्वामी शिवानंद ने कहा कि असंवेदना की ऐसी गति है कि अभी पुष्कर सिंह धामी गए थे जोशीमठ और सब देखकर आये हैं। लेकिन यह आवाज़ तो आज से नहीं उठ रही है । मकान आज से नहीं फट रहे हैं, सब दिन से फट रहे हैं । लेकिन सीएम पुष्कर सिंह धामी, जोकि यहाँ के सबसे बड़े खनन माफिया के सरदारों के सरदार हैं, वो 40 परियोजनाओं को और सैंक्शन करवाने के लिए सरकार के पास गए थे कि सुप्रीम कोर्ट से उन्हें क्लीयरेंस दिलवा दें। सुप्रीम कोर्ट के महानुभाव न्यायाधीशों को कोटि कोटि नमन कि आपके चलते ही भारत वर्ष नष्ट हो रहा है । जब श्रीनगर परियोजनाओं पर आपके यहाँ केस था, तब आपने उन्हें परमिशन दिया । एक ‘High Powered Commitee’ बनाये , लेकिन उस कमिटी के सुझाव को नहीं माने ।
आज ‘CharDham All Weather Road’ के लिए चोपड़ा कमिटी ने रिपोर्ट दिया, लेकिन उस दौरान सरकार ने अनेक वैज्ञानिकों को अपने साथ मिला लिया । वैज्ञानिकों को मिलाने में सरकार माहिर है। । और ये वैज्ञानिक – Btech Mtech कर लेते हैं, आफिस में बैठ जाते हैं, उसके बाद किताब खोलते भी नहीं हैं । ग्राउंड पर जाते भी नहीं हैं । बैठे बैठे वातानुकूलित कमरों में रिपोर्ट तैयार करते हैं । माफ़ियाओं के, जल कंपनी वालों के और सरकार के इशारे पर रिपोर्ट तैयार करते हैं । इसलिए ये लोग विनाश के कारक होते हैं । रवि चोपड़ा कमिटी के रिपोर्ट को सरकार नहीं माना । उन्होनें रिजाइन कर दिया । लेकिन एक बार भी किसी ने उनसे ये नहीं कहा कि आपके सुझावों का मान किया जाएगा । तो अब बताएं कि कौन दोषी हैं ? अभी पूरे उत्तराखंड पर आपदा है । हरिद्वार पर भी आपदा है । जिस हरिद्वार को गंगाजी का पत्थर, ज़मीन के नीचे का पत्थर बचा कर रखा है , उन्हें ये पुष्कर सिंह धामी के चहेते स्वामी यतीश्वरानंद और उनके चेले खोद रहे हैं और उसके बाद यहां के कुछ जजों को भी यहाँ के माफिया मैनेज कर लेता है । सत्य कड़वा होता है, इसलिए इसे दबाने की कोशिश मत करें । स्वामी सानंद जी की हत्या हुई, स्वामी निगमानंद जी की हत्या हुई , हमें विष दिया।
ब्रह्मचारीआत्मबोधानंद को विष दिया, साध्वी पद्मावती को विष दिया, और अभी तक इनलोगों की धंधेबाजी जारी है। समस्त परियोजनाओं को बंद करने का सुझाव रखिये । सांसद
रमेश पोखरियाल निशंक की हालांकि इनकी बहुत सी करतूतें ऐसी हैं, स्वामी निगमानंद जी की हत्या इन्हीं के समय हुई, स्वामी सानंद जी के समय ये आश्वासन देकर गए कि हम आपकी सब बात मान लेंगे, दूसरे ही दिन प्रशासन उन्हें जबरन उठा ले गयी, तीसरे दिन ही उन्हें मार दिया, लेकिन आज ये कह रहे हैं कि हम इन परियोजनाओं के खिलाफ हैं । इनके इन बातों का हम स्वागत करते हैं । जब बुद्धि लोभग्रस्त हो जाती है हरिद्वार के संत समाज से कह देना चाहते हैं कि सरकार की दलाली करना बंद करें । शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद अकेले आवाज़ उठा रहे थे वाराणसी को बचाने के लिए, ये लोग नहीं माने, और जोशीमठ को बचाने के लिए वहाँ गए हुए हैं । अभी तथाकथित अखाड़ा परिषद के ये लोग कहाँ हैं? इनके तथाकथित पीठाधीश्वर सब कहाँ हैं ? इन्हें बोलने का साहस तक नहीं है । और भारतवर्ष के इंजीनियर सबसे बड़े मूर्ख होते हैं, उन्हें न समाज का ज्ञान है, न धर्म का, साधु की अवज्ञा करते हैं । इन सभी से हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हैं कि प्रकृति जिस रूप में रहना चाहती है, उसे उसी रूप में रहने दें । धर्म के जो सही ज्ञाता हैं, इन शंकराचार्यो से विचार विमर्श करो । मातृ सदन बलिदान पर बलिदान देते चली जा रही है, ये लोग कमिटी पर कमिटी बनाते जा रहे हैं, एक भी लोग कभी यहाँ हमसे विमर्श करने नहीं आये । इस बात को समझ जाएं कि जब विनाश होगा तो कोई नहीं बचेगा ।