हल्द्वानी। उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, कुमाऊं परिक्षेत्र ने डिजिटल अरेस्ट गिरोह के सरगना को आगरा, उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किया है। आरोपी अमन कुशवाहा ने नैनीताल के एक व्यक्ति को व्हाट्सएप और स्काइप के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में फंसाने की धमकी देकर 47 लाख रुपये की ठगी की थी।
गिरोह का तरीका
गिरोह के सदस्य पीड़ितों को व्हाट्सएप और स्काइप पर कॉल करते थे और उन्हें बताते थे कि उनके आधार कार्ड से सिम कार्ड जारी किया गया है और उस सिम कार्ड का इस्तेमाल अवैध लेन-देन के लिए किया जा रहा है। वे पीड़ितों को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में फंसाने की धमकी देते थे और उन्हें डराने के लिए आरबीआई और सीबीआई के नाम पर फर्जी नोटिस भेजते थे।
पीड़ितों को डिजिटल अरेस्ट के दौरान एक कमरे में बंधक बनाकर रखा जाता था और उन्हें किसी से भी संपर्क करने से मना किया जाता था। उन्हें बताया जाता था कि यदि वे उनके द्वारा बताए गए खातों में पैसे जमा कर देते हैं, तो उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा और उनके पैसे वापस कर दिए जाएंगे।
गिरफ्तार आरोपी
एसटीएफ ने तकनीकी और डिजिटल सबूतों के आधार पर अमन कुशवाहा को गिरफ्तार किया है। उसके पास से एक मोबाइल फोन, एक सिम कार्ड और एक आधार कार्ड बरामद किया गया है। प्रारंभिक पूछताछ में आरोपी ने बताया कि उसने जिस बैंक खाते का इस्तेमाल किया था, उसमें एक महीने से भी कम समय में लाखों रुपये का लेन-देन हुआ है।
अतिरिक्त अपराध
जांच में यह भी पता चला है कि आरोपी के बैंक खाते के खिलाफ पंजाब, पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड में तीन साइबर अपराधों की शिकायतें दर्ज हैं।
पुलिस की अपील
एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नवनीत सिंह ने जनता से अपील की है कि वे किसी भी तरह के लुभावने ऑफर या फर्जी वेबसाइटों के झांसे में न आएं। उन्होंने कहा कि यदि कोई अज्ञात व्यक्ति फोन पर खुद को पुलिस अधिकारी, वकील या न्यायिक अधिकारी बताता है, तो उस पर भरोसा न करें।
उन्होंने यह भी कहा कि लोग किसी भी अज्ञात व्यक्ति से सोशल मीडिया पर दोस्ती न करें और किसी भी अज्ञात कॉल पर कोई भी जानकारी या दस्तावेज न दें। उन्होंने लोगों से ऑनलाइन नौकरी के लिए आवेदन करने से पहले वेबसाइटों की जांच करने और गूगल से कस्टमर केयर नंबर सर्च न करने की भी सलाह दी है।
उन्होंने लोगों से वित्तीय साइबर अपराध होने पर तुरंत 1930 नंबर पर संपर्क करने की अपील की है।
