उधमसिंह नगर
कुमाऊं को मिलेगी पहली साइबर लैब: रुद्रपुर में बन रही अत्याधुनिक फोरेंसिक यूनिट, ठगी की जांच होगी और भी आसान
रुद्रपुर। देहरादून के बाद अब कुमाऊं में भी साइबर अपराधों की गुत्थियां सुलझाने के लिए आधुनिक तकनीक का सहारा लिया जाएगा। रुद्रपुर में प्रदेश की पहली कुमाऊं साइबर फोरेंसिक लैब तैयार की जा रही है। इस लैब की स्थापना से साइबर ठगी, ऑनलाइन फ्रॉड और डिजिटल अपराधों की जांच में तेजी आएगी। खास बात यह है कि ठगी में उपयोग हुए मोबाइल या सॉफ्टवेयर की जांच के दौरान उसका क्लोन बनाकर तकनीकी विश्लेषण किया जाएगा, ताकि यह पता लगाया जा सके कि अपराध कहां से और किस माध्यम से किया गया।
साइबर अपराधों का बढ़ता ग्राफ
उत्तराखंड में साइबर ठगी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में हर दिन पांच से सात लोग साइबर ठगी का शिकार हो रहे हैं। ऑनलाइन शॉपिंग, बैंकिंग, बिजली-पानी के बिल भुगतान और नकली वेबसाइटों के जरिए लोगों के खाते खाली किए जा रहे हैं। इतना ही नहीं, “डिजिटल अरेस्ट” जैसी नई ठगी तकनीकें भी तेजी से फैल रही हैं, जिनमें अपराधी खुद को पुलिस या सरकारी अधिकारी बताकर लोगों से पैसे ऐंठ रहे हैं।
अब रुद्रपुर में मिलेगी जांच की सुविधा
अभी तक गंभीर साइबर अपराधों की जांच के लिए उपकरण या डेटा देहरादून या अन्य राज्यों की फोरेंसिक लैबों में भेजना पड़ता था, जिससे समय और साक्ष्यों दोनों का नुकसान होता था। अब रुद्रपुर में साइबर फोरेंसिक लैब के शुरू होने से कुमाऊं मंडल के सभी जिलों को बड़ी राहत मिलेगी। यहां पर विशेषज्ञ टीम और आधुनिक मशीनें उपलब्ध होंगी, जो मोबाइल, लैपटॉप, हार्ड डिस्क और सर्वर जैसे उपकरणों से डेटा रिकवर कर सकेंगी।
डेटा रिकवरी और क्लोन तकनीक से जांच
साइबर लैब में विशेषज्ञ पहले आरोपी के मोबाइल या लैपटॉप की हार्ड डिस्क का क्लोन तैयार करेंगे ताकि मूल डिवाइस से छेड़छाड़ न हो और जांच प्रक्रिया पारदर्शी बनी रहे। इसके बाद क्लोन डेटा से अपराध के डिजिटल निशानों की जांच होगी। लैब में डिलीट किया गया डेटा भी रिकवर किया जा सकेगा, जिससे अपराधियों द्वारा मिटाए गए साक्ष्य भी सामने लाए जा सकेंगे।
अधिकारियों का कहना
फोरेंसिक साइंस लैब के संयुक्त निदेशक डॉ. मनोज अग्रवाल ने बताया कि “बढ़ते साइबर अपराधों को देखते हुए कुमाऊं में साइबर लैब की स्थापना की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। शासन को पत्र भेजा जा चुका है और जल्द ही उपकरणों व विशेषज्ञों की तैनाती की जाएगी।”
इस लैब के शुरू होने से न केवल ठगी के मामलों की तेजी से जांच होगी, बल्कि साइबर अपराधियों पर नकेल कसने में पुलिस को बड़ी तकनीकी ताकत भी मिलेगी।
