1979 में किया पहला कत्ल और 1989 में पहली बार बना था विधायक
लखनऊ। माफिया डॉन अतीक अहमद का 44 साल के अपराध का मात्र 7 सेकेंड में अंत हो गया। कनपटी में गोली लगते ही अतीक जमीन पर गिर पड़ा। अतीक के साथ उसके भाई अशरफ भी मारा गया।
अतीक अहमद अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह था। उसके खिलाफ कोई गवाही देने की हिम्मत नहीं करता था। जो करता था अतीक उसे मरवा देता था। अतीक अहमद ने 1979 में चकिया में पहला कत्ल किया। फिर वह एक के बाद अपराध अंजाम देता गया। था। 1980 के दशक में चांद बाबा से उसकी गैंगवार शुरू हुई और वह सुर्खियों में आने लगा। अपराध की दुनिया मे पैर जमाने के बाद उसने राजनीति में कदम रखा। 1989 में पहली बार विधायक का चुनाव चुने जाने के बाद अतीक अहमद ने अपनी बादशाहत कायम करने का प्रयास शुरू किया। चांद बाबा को रोशन बाग में मार गिराया।चांद बाबा के मारे जाने के बाद अतीक रंगदारी उगाही, धमकी, जमीन पर कब्जा करना उसका रोज का काम हो गया था।
2005 में राजू पाल हत्याकांड और गवाह उमेश पाल का अपहरण कर अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ ने यूपी पुलिस को खुलकर चुनौती दी। 24 फरवरी को उमेश पाल और दो गनर को सुलेम सराय में जीटी रोड पर गोलियों से छलनी कर दिया गया। इस हत्याकांड के बाद पुलिस शूटरों की तलाश में लगी थी तभी एमपी-एमएलए अदालत ने उमेश पाल अपहरण कांड में अतीक अहमद को उम्र कैद की सजा सुना दी। अतीक और अशरफ को वापस जेल भेज दिया गया था।