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हल्द्वानी

देश की रक्षा सर्वोपरि: छुट्टी बीच में छोड़ सीमा की ओर लौटे जवान

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हल्द्वानी। पाकिस्तान सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच देश के सपूत एक बार फिर अपने कर्तव्य के लिए घर-परिवार और निजी सुख छोड़कर देशसेवा में लौट पड़े हैं। गुरुवार रात से शुक्रवार सुबह तक हल्द्वानी रोडवेज बस अड्डे पर ऐसा ही एक भावुक नज़ारा देखने को मिला, जब छुट्टी पर आए सेना के जवानों को अचानक ड्यूटी पर वापसी का आदेश मिला और वे तुरंत अपनी तैनाती स्थल की ओर रवाना हो गए।

हल्द्वानी बस अड्डे पर पिथौरागढ़, बागेश्वर, अल्मोड़ा और नैनीताल जिले के आठ से अधिक जवान विभिन्न बसों का इंतजार कर रहे थे। उनकी पोस्टिंग जम्मू-कश्मीर, कुपवाड़ा, राजौरी, पुंछ, पठानकोट और राजस्थान जैसे संवेदनशील इलाकों में है, जहां उन्हें शनिवार तक आमद देनी है। कुछ जवानों को छुट्टी मिलने के चंद दिनों बाद ही वापसी का बुलावा मिला, तो कुछ ऐसे भी थे जिन्हें अपनी शादी का जश्न अधूरा छोड़कर लौटना पड़ा।

शादी में नाचते हुए आया बुलावा
पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट निवासी और वर्तमान में हल्द्वानी के कमलुवागांजा में रह रहे पैरा कमांडो जवान की कहानी भावुक कर देने वाली है। वह गुरुवार रात एक शादी समारोह में नाच रहे थे, तभी उन्हें ड्यूटी पर लौटने का आदेश मिला। उन्होंने तुरंत परिवार से विदा ली और रात को ही जम्मू की ओर रवाना हो गए। जवान ने कहा, “देश की सेवा का अवसर मिलना गर्व की बात है, जब भी बुलावा आए, जाना फर्ज है।”

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शादी के 24 घंटे भी पूरे नहीं हुए थे
चोरगलिया निवासी एक और जवान की शादी बुधवार को हुई थी। लेकिन गुरुवार रात ही उन्हें ड्यूटी पर लौटने का आदेश मिल गया। रिसेप्शन की दावत भी नहीं हो पाई थी कि वह रात दस बजे कश्मीर के लिए रवाना हो गए। उनके ताऊ और पूर्व सैनिक विनोद वारियाल ने बताया कि देशसेवा उनके परिवार की परंपरा है और जरूरत पड़ी तो वह भी फिर से सीमाओं पर जाने को तैयार हैं।

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तीन जवान एक साथ रवाना हुए
पिथौरागढ़ के नाचनी, गंगोलीहाट और भाटकोट से आए तीन जवानों को भी गुरुवार रात ही वापसी का संदेश मिला। वे पहाड़ से रात को ही वाहन बुक करके हल्द्वानी पहुंचे और शुक्रवार सुबह बस से पठानकोट व कश्मीर के लिए रवाना हो गए।

इन जवानों का कहना था कि देश के लिए छुट्टियां नहीं, बलिदान जरूरी है। जब भी देश पुकारे, वे हर हाल में सेवा देने को तैयार हैं। स्थानीय लोगों ने जवानों को शुभकामनाएं दीं और सुरक्षित लौटने की कामना की।

संकट की घड़ी में फिर निभाया फर्ज
इन बहादुर जवानों की यह तत्परता और समर्पण यह दिखाता है कि देश की सुरक्षा के लिए हमारे सैनिक हर परिस्थिति में तैयार रहते हैं। चाहे शादी हो या पारिवारिक समारोह, जब देश की पुकार आती है, तो वे बिना देर किए सीमाओं की ओर कूच कर जाते हैं। यह जज्बा ही भारतीय सेना की असली पहचान है।

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संपादक: गुलाब सिंह
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