हल्द्वानी
ओखलकांडा में स्वास्थ्य सेवाओं की पोल, प्रसूता को डोली में लाना पड़ा घर
हल्द्वानी। जनपद के दूरस्थ ब्लाक ओखलकांडा में सोमवार रात फिर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की बदहाली सामने आई। तोक मेढ़ी निवासी खुशहाल सिंह की बहू पूजा को रात करीब नौ बजे प्रसव पीड़ा हुई। स्वजन तुरंत 108 एम्बुलेंस सेवा से उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ओखलकांडा ले गए, लेकिन वहां प्रसव संबंधी किसी भी तरह की सुविधा उपलब्ध नहीं थी। मजबूरन परिजनों को उसे पदमपुरी चिकित्सालय या हल्द्वानी ले जाने की सलाह दी गई।
गनीमत रही कि समय रहते पूजा को पदमपुरी अस्पताल पहुंचा दिया गया, जहां रात करीब साढ़े बारह बजे उसने स्वस्थ शिशु को जन्म दिया। हालांकि डिलीवरी के बाद की परिस्थितियां परिवार के लिए और भी कठिन रहीं। न तो ओखलकांडा अस्पताल में सुविधाएं थीं और न ही पदमपुरी से वापस घर लाने के लिए कोई सरकारी प्रबंध हो सका।
परिजनों ने बताया कि मंगलवार सुबह छुट्टी मिलने के बाद जब उन्होंने एम्बुलेंस सेवा से संपर्क किया, तो उन्हें शाम साढ़े तीन बजे तक वाहन उपलब्ध होने की जानकारी दी गई। मजबूर होकर स्वजन ने निजी वाहन का इंतजाम किया और पूजा को खनस्यूं तक लाया गया। वहां से आगे गांव तक उसे डोली में बैठाकर घर ले जाया गया।
विशेषज्ञ बताते हैं कि डिलीवरी के बाद प्रसूता को कम से कम 24 घंटे अस्पताल में रखने की सलाह दी जाती है। बावजूद इसके, ग्रामीण इलाकों में स्वजन जल्दी घर लौटना चाहते हैं। एम्बुलेंस सेवा का यथासमय न मिलना भी बड़ी समस्या है।
पीएचसी पदमपुरी प्रभारी हिमांशु कांडपाल का कहना है कि मामले की जांच की जाएगी। उन्होंने स्वीकार किया कि कई बार मरीजों को तत्काल वाहन उपलब्ध कराना संभव नहीं हो पाता, लेकिन फिर भी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की आवश्यकता है।
यह घटना स्पष्ट करती है कि पहाड़ी और दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं आज भी कितनी कमजोर हैं। प्रसव जैसी संवेदनशील स्थिति में भी महिलाओं और परिवारों को डोली और निजी वाहनों का सहारा लेना पड़ रहा है, जो स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की वास्तविकता उजागर करता है।
