हल्द्वानी
उत्तराखंड के 25 साल: ‘राजधानी स्पष्ट नहीं तो विकास असंभव’—उपपा की परिचर्चा में बड़ा सवाल
उत्तराखंड गठन के 25 साल बाद भी विकास अधूरा क्यों? हल्द्वानी में उपपा की परिचर्चा में वक्ताओं ने कहा: राजधानी की कानूनी अस्पष्टता बड़ी बाधा। नशे का बढ़ता कारोबार और फर्जी आंदोलनकारी भी चिंता का विषय।
हल्द्वानी। उत्तराखंड राज्य के गठन के 25 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी (उपपा) की पहल पर आज हल्द्वानी में “उत्तराखंड के हाल: 25 साल” विषय पर एक महत्वपूर्ण परिचर्चा आयोजित की गई। इस संवाद में विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों, सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने एकमत होकर कहा कि बीते 25 वर्षों में राज्य की मूल अवधारणा और जनता के सपने बिखर गए हैं, जिसके लिए सत्ता में शामिल राष्ट्रीय दल जिम्मेदार हैं।
उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पी.सी. तिवारी ने कहा कि राज्य की मौजूदा स्थिति पर गंभीर चिंतन की आवश्यकता है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “जब राज्य की राजधानी ही कानूनी रूप से स्पष्ट न हो, तो उसका विकास संभव नहीं है।” उन्होंने प्रदेश के सभी हितबद्ध समूहों से राज्य की दुर्दशा को दूर करने के लिए साझा रणनीति बनाने की अपील की। उपपा ने इस विषय पर पूरे प्रदेश में संवाद की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
नशा और सरकारी फिजूलखर्ची पर चिंता
परिचर्चा में वक्ताओं ने उत्तराखंड की दुर्दशा के कई अन्य प्रमुख कारणों पर भी प्रकाश डाला। अधिवक्ता डी.के. जोशी ने नशे के बढ़ते कारोबार को चिंताजनक बताया। उन्होंने जानकारी दी कि राज्य गठन के समय आबकारी राजस्व 253 करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर लगभग 5,056 करोड़ रुपये हो गया है, जो एक गंभीर सामाजिक समस्या का संकेत है। पत्रकार और लेखक जगमोहन रौतेला ने राज्य निर्माण की प्रक्रिया और वर्तमान स्थिति पर विस्तार से बात की, वहीं उत्तराखंड क्रांति दल के मोहन कांडपाल ने सरकारी आयोजनों और समाचार चैनलों के विज्ञापनों पर हो रहे करोड़ों रुपये के बेहिसाब खर्च पर अंकुश लगाने की मांग की।
आंदोलनकारियों के फर्जीवाड़े की जांच जरूरी
राज्य आंदोलनकारियों के मुद्दे पर भी गंभीर चर्चा हुई। सभी वक्ताओं का मानना था कि वास्तविक आंदोलनकारी वे हैं जो संघर्षों में शहीद या घायल हुए, लेकिन इस विषय में हुए फर्जीवाड़ों की निष्पक्ष जांच आवश्यक है। बी.डी. सनवाल ने निष्कर्ष दिया कि उत्तराखंड राज्य अपने उद्देश्यों में विफल रहा है। पत्रकार पंकज जोशी और सेवानिवृत्त असिस्टेंट कमांडर आर.पी. सिंह ने कहा कि राज्य की बेहतरी के लिए अब प्रत्येक नागरिक को अपनी भूमिका तय करनी होगी, क्योंकि परिवर्तन संयुक्त प्रयासों से ही आएगा।
