उत्तराखण्ड
उत्तराखंड में सोना, चांदी और तांबे की खोज को लेकर सरकार ने कसी कमर, मोनाश विवि और IIT रुड़की की मिलेगी मदद
देहरादून। उत्तराखंड सरकार अब प्रदेश में सोना, चांदी, तांबा और अन्य दुर्लभ धातुओं की खोज की तैयारी में जुट गई है। इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत सरकार ऑस्ट्रेलिया के मोनाश विश्वविद्यालय और आईआईटी रुड़की की विशेषज्ञता का लाभ उठाएगी। इस उद्देश्य के लिए जल्द ही भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग, मोनाश विवि और आईआईटी रुड़की के बीच त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।
राजस्व बढ़ाने के लिए नई योजना पर काम शुरू
वर्तमान में भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग मुख्य रूप से रेत, बजरी और पत्थर जैसे खनिजों से राजस्व प्राप्त करता है। लेकिन अब सरकार ने नए क्षेत्रों में खनन से राजस्व बढ़ाने की योजना बनाई है। उत्तरकाशी में सिलिका खनन की योजना पहले से चल रही है और अब भविष्य में धातु अनुसंधान और खनन की संभावनाओं को लेकर कार्य किया जाएगा। इस संबंध में शासन स्तर पर बैठक भी हो चुकी है, जिसमें मुख्य सचिव ने विभाग को तेजी से योजना को आगे बढ़ाने के निर्देश दिए थे।
पिथौरागढ़ में पहले हो चुकी है सोना खोजने की प्रक्रिया
पिथौरागढ़ जिले के अस्कोट क्षेत्र में करीब 19 साल पहले सोना निकालने की संभावनाओं को लेकर कार्य किया गया था। हालांकि, इस कार्य को पूरा करने के लिए अभी पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से मंजूरी (फॉरेस्ट क्लीयरेंस) मिलना बाकी है। अब राज्य सरकार ने सोना, चांदी और तांबा जैसी क्रिटिकल मिनरल की खोज के लिए फिर से प्रयास तेज कर दिए हैं।
निदेशालय और टास्क फोर्स का होगा गठन
दुर्लभ धातुओं की खोज, अनुसंधान और खनन से जुड़े कार्यों को सुचारू रूप से आगे बढ़ाने के लिए सरकार एक अलग निदेशालय का गठन करेगी। इसके साथ ही, इस काम के लिए एक टास्क फोर्स भी बनाई जाएगी, जिसमें सरकारी विभागों, शिक्षण संस्थानों और उद्योग विभाग के विशेषज्ञ शामिल होंगे। टास्क फोर्स इन धातुओं की खोज और उत्खनन के साथ उनके संग्रहण की जिम्मेदारी भी संभालेगी।
पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर होगी योजना
सरकार इस पूरी योजना को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत संचालित करने की योजना बना रही है। पहले चरण में यह पता लगाया जाएगा कि राज्य में कहां-कहां और कितनी मात्रा में सोना, चांदी और तांबे का भंडार मौजूद है। इसके बाद इन धातुओं को निकालने में होने वाले खर्च और खनन के लिए लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया शुरू होगी।
सरकार की इस नई पहल से राज्य में खनिज संपदा का सही उपयोग होने की संभावना है, जिससे प्रदेश की आर्थिक स्थिति को भी मजबूती मिलेगी।
