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नई दिल्ली

पूर्णिमा पर आज इस वर्ष का अंतिम चंद्रग्रहण, रात एक बजकर पांच मिनट से दो बजकर 18 मिनट तक रहेगा

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एक घंटा 18 मिनट तक ग्रहण काल रहेगा। जबकि नौ घंटे पहले यानी शाम चार बजकर छह मिनट पर चंद्रग्रहण का सूतक शुरू हो जाएगा
देहरादून। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की शरद पूर्णिमा पर आज इस वर्ष का अंतिम चंद्रग्रहण लगेगा। रात एक बजकर पांच मिनट से दो बजकर 18 मिनट तक चंद्रग्रहण रहेगा। एक घंटा 18 मिनट तक ग्रहण काल रहेगा। जबकि नौ घंटे पहले यानी शाम चार बजकर छह मिनट पर चंद्रग्रहण का सूतक शुरू हो जाएगा।
चंद्रग्रहण के सूतक काल में मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे। इस दौरान स्नान, पुण्य कार्य, व्रत, भगवान की मूर्ति का स्पर्श प्रतिबंध रहेगा। वैसे तो प्रत्येक पूर्णिमा का हिंदू धर्म में महत्व है, लेकिन शरद पूर्णिमा को विशेष माना गया है।मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी का जन्म हुआ था। शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ पृथ्वीलोक में भ्रमण के लिए आती हैं व घर-घर जाकर भक्तों पर कृपा बरसाती हैं।
मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। इसे अमृत काल भी कहा जाता है। शरद पूर्णिमा पर चांद अमृत वर्षा करता है। इस दिन चंद्रमा के पूजन से स्वस्थ व नीरोगी काया प्राप्त होती है। लेकिन, इस बार शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण लग रहा है।
आचार्य डा. सुशांत राज ने बताया कि भारतीय समयानुसार चंद्र ग्रहण का शुरुआती चरण रात 11:30 बजे से शुरू हो जाएगा, जो देर रात दो बजकर 24 मिनट तक रहेगा। सूतक काल शुरू होने से पहले खाने पीने की वस्तुओं में तुलसी के पत्ते डाल दें।
शरद पूर्णिमा पर जो खीर बनती है व रातभर चंद्रमा की रोशनी में रखकर अगले दिन उसे एक प्रकार की औषधि व प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है, लेकिन इस बार ग्रहण की वजह से प्रमुख जगहों पर यह खीर नहीं बनेगी।उत्तराखंड विद्वत सभा के अध्यक्ष आचार्य बिजेंद्र प्रसाद ममगाईं के अनुसार चंद्र ग्रहण में सूतक काल के चलते व्रत नहीं रख सकते, लेकिन भजन कीर्तन कर सकते हैं। मंत्र जपने व प्रभु का स्मरण करने से पूर्णिमा पर दोगुना फल की प्राप्ति होती है। वहीं, सूतक काल के दौरान बंद होने वाले शहर के विभिन्न मंदिरों के कपाट रविवार सुबह को पूजा, गंगा स्नान कर खोले जाएंगे।
श्री बदरीनाथ-श्री केदारनाथ मंदिर समिति के अधीनस्थ मंदिरों श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ, द्वितीय केदार मध्मेश्वर, तृतीय केदार तुंगनाथ, सहित श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ, योग बदरी पांडुकेश्वर, भविष्य बदरी तपोवन, श्री त्रिजुगीनारायण मंदिर, श्री विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी, श्री कालीमठ मंदिर एवं पंच बदरी मंदिरों में ग्रहण के दौरान कपाट बंद होंगे। इसके साथ ही पूजा करके मंदिरों के कपाट खोले जाएंगे।

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