Connect with us

देहरादून

पुस्तक विक्रेताओं पर छापे में फर्जीवाड़ा उजागर, बिना आईएसबीएन नंबर की किताबें जब्त

Published

on

देहरादून। राजधानी में तीन प्रमुख पुस्तक विक्रेताओं पर छापे के दौरान बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। कई ऐसी पुस्तकें पाई गईं, जिनके प्रकाशकों और लेखकों का कोई पता नहीं था और उन पर दिए गए अंतरराष्ट्रीय मानक पुस्तक संख्या (आईएसबीएन) नंबर भी सत्यापित नहीं हो पाए। इससे यह आशंका जताई जा रही है कि ये पुस्तकें असली प्रकाशकों से नहीं, बल्कि फर्जी माध्यमों से खरीदकर बेची जा रही थीं। इस घोटाले का खुलासा जिलाधिकारी सविन बंसल के निर्देश पर शनिवार को नेशनल बुक हाउस, एशियन बुक डिपो और ब्रदर्स पुस्तक भंडार पर छापेमारी के दौरान हुआ।

बिल नहीं देते थे विक्रेता, जीएसटी चोरी का भी शक
अभिभावकों का आरोप था कि इन दुकानों से खरीदी गई पुस्तकों का बिल नहीं दिया जा रहा था, जिससे जीएसटी चोरी की आशंका भी जताई जा रही थी। हालांकि, सबसे गंभीर मामला तब सामने आया जब शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने पुस्तकों की जांच की। प्रमुख कक्षाओं में विभिन्न बोर्ड की सिफारिश पर पढ़ाई जाने वाली पुस्तकों में प्रकाशन से जुड़ी कई अनियमितताएं मिलीं।

यह भी पढ़ें 👉  बाबा साहब को नमन कर नारे लगाए, दी श्रद्धांजलि

आईएसबीएन नंबर फर्जी, कई किताबों पर कोई विवरण नहीं
नेशनल बुक हाउस में कक्षा 9 और 10 की कई ऐसी पुस्तकें मिलीं जिनके आईएसबीएन नंबर की पुष्टि ही नहीं हो पाई। विक्रेता से पूछताछ में कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इसी तरह, एशियन बुक डिपो पर साहित्य सागर अभ्यास पुस्तिका पर आईएसबीएन नंबर नहीं था और कैमिस्ट्री लैब मैनुअल के आईएसबीएन नंबर की ऑनलाइन पुष्टि नहीं हो सकी। बसुधा नामक पुस्तक के आईएसबीएन नंबर को भी सत्यापित नहीं किया जा सका।

कई किताबों पर प्रकाशक और लेखक का विवरण नहीं
कक्षा 6 में पढ़ाई जाने वाली ‘जावा मेड सिंपल’ नामक पुस्तक पर न तो आईएसबीएन नंबर था और न ही प्रकाशक का कोई विवरण। शिक्षा विभाग ने इन सभी पुस्तकों को जब्त कर लिया है। उचित उत्तर न मिलने पर प्रशासन ने इन तीनों पुस्तक विक्रेताओं के खिलाफ धोखाधड़ी और अन्य धाराओं में मुकदमे दर्ज किए हैं।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने मनाया 15वें स्थापना दिवस

आईएसबीएन नंबर का महत्व और जिम्मेदारी
आईएसबीएन नंबर पुस्तक की 13 अंकों की विशिष्ट पहचान संख्या होती है, जो भारत में राजा राम मोहन राय एजेंसी द्वारा प्रदान की जाती है। यह नंबर पुस्तक के प्रकाशक और लेखक की पहचान के लिए आवश्यक होता है। किसी भी पुस्तक में दिए गए तथ्यों के लिए प्रकाशक और लेखक जिम्मेदार होते हैं। निजी प्रकाशन के एरिया मैनेजर प्रशांत मिश्रा ने बताया कि बिना आईएसबीएन नंबर या गलत नंबर वाली पुस्तकों का कोई स्रोत नहीं मिलता, जिससे उनकी सत्यता पर सवाल खड़े होते हैं। अगर किसी सामग्री में विवादित तथ्य हों तो इसकी जानकारी तक नहीं मिल पाती, जिससे यह एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।

पुलिस कर रही मामले की जांच
शहर कोतवाल चंद्रभान सिंह अधिकारी ने बताया कि प्रशासन ने कई महत्वपूर्ण तथ्य उपलब्ध कराए हैं, जिनके आधार पर मुकदमों की विवेचना की जा रही है। प्रशासन जल्द ही इस मामले में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

GET IN TOUCH

संपादक: गुलाब सिंह
पता: हल्द्वानी, उत्तराखण्ड
दूरभाष: +91 9412960065
ई-मेल: [email protected]

Select Language

Advertisement

© 2023, CWN (City Web News)
Get latest Uttarakhand News updates
Website Developed & Maintained by Naresh Singh Rana
(⌐■_■) Call/WhatsApp 7456891860