उत्तराखण्ड
उत्तराखंड में जंगल की आग पर नियंत्रण के लिए नई पहल, ग्राम पंचायत स्तर पर बनेगी समितियां
देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश में जंगल की आग पर नियंत्रण के लिए एक नई पहल की है। इसके तहत ग्राम पंचायत स्तर पर वनाग्नि सुरक्षा समितियों का गठन किया जाएगा। यह समितियां 22 वन प्रभागों में काम करेंगी। समितियों को प्रोत्साहन राशि के तौर पर हर वर्ष 30 हजार रुपये दिए जाएंगे। यह फैसला हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया।
समितियों की संरचना और कार्य:
ग्राम पंचायत, ग्राम पंचायतों के क्लस्टर स्तर पर बनने वाली वनाग्नि सुरक्षा प्रबंधन समितियों में ग्राम प्रधान, वन पंचायत सरपंच, महिला व युवक मंगल दलों के प्रतिनिधि के अलावा वन विभाग, राजस्व विभाग के कार्मिकों को शामिल किया जाएगा। यह समितियां वनाग्नि सत्र के दौरान अस्थाई रूप से क्षेत्र आवंटित कर जंगल की आग के नियंत्रण और प्रबंधन की जिम्मेदारी निभाएंगी।
प्रोत्साहन राशि और मूल्यांकन:
समिति के सफल प्रयासों के लिए प्रत्येक समिति को प्रोत्साहन राशि के तौर पर 30,000 प्रति वर्ष दिए जाएंगे। निर्धारित धनराशि में से आधी धनराशि वनाग्निकाल के प्रारम्भ में और आधी धनराशि वनाग्निकाल के बाद समिति के वनाग्नि नियंत्रण कार्यों के अनुश्रवण, मूल्यांकन के बाद दी जाएगी। अगर वनाग्नि सत्र के दौरान उपलब्ध कराए गए क्षेत्रों में आग लगती है, तो प्रभावित क्षेत्र के आकलन के अनुसार प्रोत्साहन राशि में कटौती की जाएगी। आवंटित क्षेत्रों में जंगल के आग की घटना न होने पर समितियों के कुशल प्रशस्ति-पत्र, पुरस्कार भी स्थानीय जन-प्रतिनिधियों के माध्यम से प्रदान किए जाएंगे।
क्षेत्र का आवंटन:
वनाग्नि सुरक्षा प्रबंधन समितियों के चयन और संख्या का निर्धारण अति संवेदनशील, चीड़ बाहुल्य वन प्रभागों को वर्गीकरण करते हुए किया गया है। प्रत्येक समिति को औसतन 500-600 हेक्टेयर वन क्षेत्र आवंटित किया जाएगा।
सरकार का उद्देश्य:
सरकार का उद्देश्य इन समितियों के माध्यम से जन सहभागिता को बढ़ाकर जंगल की आग पर प्रभावी नियंत्रण करना है। यह पहल न केवल वनों को आग से बचाएगी, बल्कि स्थानीय समुदायों को भी वनों के संरक्षण में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करेगी।
